Page 47 - E-Patrika 3rd Edition Hindi
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ई-प  का डाक प्र शक्षण क े न्द्, वड़ोदरा








                                         हौसलो          ंं क  उड ़ ान
                                         हौसलो क  उड ़ ान





                                                                                      ै
              आज दबी दबी ख्वा हश जीने क   फर उमड़  ह,
                                                                      ै
               एक आशा  क  करण  फर उभर  ह,




               दल क े  लफ़्ज़ा  को तू शब्दा  म  तोल दे,


                                           ै
               जो क ु छ भी दबा ह, आज तू बोल दे,




                                          ं
                                   ँ
              ये रगीन हवाए, बेरग  ज़न्दगी म  कहर उठा रही ह,
                                                                                         ै
                   ं
                                                                             ै
                                               ँ
               क ु छ तो हसीन ह यहा तुझे समझा रही ह,
                                        ै
                                                                                                  ै
              ख़र लम्हे  ज़दगी म  हसीन हा गे, शायद तुझे बता रही ह,
                 ै

               ये जीने क  राह  दखा रही ह,
                                                          ै



                                    ं
               क़स्मत क  ज़जीर को तू  हम्मत से तोड़ दे,

               कर खुद पर यक़ न अपने पर खोल दे....।
























                                                      लखीक ु मारी िशयाग

                                                          (डाक सहायक)



                                                                                                               42
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