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ई-प का डाक प्र शक्षण क े न्द्, वड़ोदरा
प्र शक्षण क मह ा - पीट सी वड ़ ोदरा क साथ
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प्र शक्षण क मह ा - पीट सी वड ़ ोदरा क साथ
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कसी भी सगठन क बेहतर उसम काय करने वाला क क्षमता पर नभ र करती ह, इस
क्षमता म वृ करने और कम चा रया क काय क ु शलता को बढ़ाने क े लए प्र शक्षण
एक महत्वपूण भू मका अदा करता ह। भारतीय डाक वभाग वश्व क े सबसे बड़े डाक
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नेटवक म शुमार ह, प्र त दन आम जनता से इसका सामना होता ह। एेसे म कम चार
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काय क ु शल और क्षमतावान हो तो न सफ सगठन क छ व नखरती ह ब क
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कम चा रया को भी आत्म सतोष प्राप्त होता ह। इसी क्रम म डाक प्र शक्षण क द्र बड़ोदरा
म समय-समय पर व भन्न तरह क े प्र शक्षण काय क्रम आयो जत कए जाते ह। इस
प्र शक्षण क द्र का वातावरण बहुत ही नस गक ह। आप सुबह क सर कर रह ह, और
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मोर नजदीक ही टहल रहे ह, क ु छ दूसरे मोर पेड़ा पर बठ े हुए अपनी सुमधुर आवाज से
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वातावरण को एक बेहद खुशनुमा माहौल दे रहे ह। यह सब देखकर आपका मन
प्रफ ु लत हो जाता ह। यही बने एक दल-दल नुमा पोखर म व भन्न प्रजा तया क े पक्षी
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आपको दख जाय गे, जनम से कइ दुल भ ह। इसक े साथ साथ वृक्षा पर लगूरा क
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उछाला से आपका मन प्रफ ु लत हो जायेगा। एक प्र शक्षणाथ क े लए यह वातावरण
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बहुत ही सुखद और अ त होता ह। प्र शक्षण का काय क्रम क ु छ एेसा बनाया जाता ह क
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सभी प्र शक्षणाथ आपस म घुल मलकर रहते ह और व्यस्त काय क्रम होने क े बाद भी
अपने प्र शक्षण को आनद से पूरा करते ह। समय पर चाय नाश्ता, भोजन इसी प्र शक्षण
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क द्र म उपलब्ध रहते ह। सुबह-सुबह क े योग और शार रक व्यायाम से प्रत्येक
प्र शक्षणाथ चुस्त दुरुस्त रहकर अपने सीखने क प्र क्रया को और बेहतर बनाने म लगा
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रहता ह। म तो इस प्र शक्षण क द्र को एक वन्य जीव अभ्यारण क तरह देखकर
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आन दत हो रहा व भन्न प्रजा तया क े प क्षया को देखकर येसा लगता ह क हम
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कसी वड स चुर म आ गए हो, छोटी सी च ड़या ,एक लाल चाच का सुदर सा पक्षी
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और भी अलग-अलग तरह क े तीतर बटेर जसे पक्षी यहा दख जाते ह। मने देखा ह क
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बड़े-बड़े शहरा म जनका शहर करण इस हद तक हो चुका ह क पेड़ पौधे और जगल
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देखना हो तो काफ दूर जाने पर ही सभव हो सकता ह और वहा पर खुले म घूमते हुए
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पशु प क्षया को देखने क े लए अलग से काय क्रम बनाना पड़ता ह और इन सब म
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हमारा पूरा दन चला जाता ह। जब क यह सब हम डाक प्र शक्षण क द्र बड़ोदरा म यह
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सब सहजता से देख लेते ह, यहा का एकात उसे कहावत को च रताथ करता ह जसम
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एकात को भोगने क े लए एक गहर सोच और अलग दृ क आवश्यकता होती ह और
फर उससे जो ान उपजता ह,वह व्य तगत, समाज और सगठन क े लए बहुत
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उपयोगी होता ह। न त ही यहा से प्र शक्षण प्राप्त कर कम चार अपने सगठन या न
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क भारतीय डाक वभाग का काय बेहतर और प्रसन्न मन से कर पायेगा।
अनुराग ढेगुला
डाकपाल, वल्लभ िव ानगर
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इदोर, मध्यप्रदेश प रमडल
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