Page 50 - E-Patrika 3rd Edition Hindi
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ई-प  का डाक प्र शक्षण क े न्द्, वड़ोदरा




           प्र शक्षण क  मह ा - पीट सी वड ़ ोदरा क साथ
                                                                                             ेे
           प्र शक्षण क  मह ा - पीट सी वड ़ ोदरा क साथ

                                                                                                           ै
                        ं
          कसी भी सगठन क  बेहतर  उसम  काय  करने वाला  क  क्षमता पर  नभ र करती ह, इस
         क्षमता म  वृ   करने और कम चा रया  क  काय  क ु शलता को बढ़ाने क े   लए प्र शक्षण
         एक महत्वपूण  भू मका अदा करता ह। भारतीय डाक  वभाग  वश्व क े  सबसे बड़े डाक
                                                      ै

         नेटवक म  शुमार ह, प्र त दन आम जनता से इसका सामना होता ह। एेसे म  कम चार
                                                                                           ै
                                ै

                                                                       ं
                                                                                                        ै
         काय   क ु शल  और  क्षमतावान  हो  तो  न   सफ  सगठन  क   छ व   नखरती  ह  ब  क
                                          ं
                                                               ै
         कम चा रया  को भी आत्म सतोष प्राप्त होता ह। इसी क्रम म  डाक प्र शक्षण क   द्र बड़ोदरा
         म  समय-समय पर  व भन्न तरह क े  प्र शक्षण काय क्रम आयो जत  कए जाते ह। इस

         प्र शक्षण क   द्र का वातावरण बहुत ही नस गक ह। आप सुबह क  सर कर रह  ह, और

                                                                                            ै
                                                         ै
                                                                    ै
                                                                                                          ै
         मोर नजदीक ही टहल रहे ह, क ु छ दूसरे मोर पेड़ा  पर बठ े  हुए अपनी सुमधुर आवाज से

                                                                           ै
         वातावरण  को  एक  बेहद  खुशनुमा  माहौल  दे  रहे  ह।  यह  सब  देखकर  आपका  मन

         प्रफ ु   लत हो जाता ह। यही बने एक दल-दल नुमा पोखर म   व भन्न प्रजा तया  क े  पक्षी
                                   ै

                                                                                                        ं
         आपको  दख जाय गे,  जनम  से कइ दुल भ ह। इसक े  साथ साथ वृक्षा  पर लगूरा  क
                                                                ै
         उछाला  से आपका मन प्रफ ु   लत हो जायेगा। एक प्र शक्षणाथ  क े   लए यह वातावरण
                                                                                                             ै
         बहुत ही सुखद और अ  त होता ह। प्र शक्षण का काय क्रम क ु छ एेसा बनाया जाता ह क
                                                 ै

         सभी प्र शक्षणाथ  आपस म  घुल  मलकर रहते ह और व्यस्त काय क्रम होने क े  बाद भी
         अपने प्र शक्षण को आनद से पूरा करते ह। समय पर चाय नाश्ता, भोजन इसी प्र शक्षण

                                      ं

         क   द्र  म   उपलब्ध  रहते  ह।  सुबह-सुबह  क े   योग  और  शार  रक  व्यायाम  से  प्रत्येक
         प्र शक्षणाथ  चुस्त दुरुस्त रहकर अपने सीखने क  प्र क्रया को और बेहतर बनाने म  लगा

                  ै
         रहता  ह।  म  तो  इस  प्र शक्षण  क   द्र  को  एक  वन्य  जीव  अभ्यारण  क   तरह  देखकर
              ं
         आन दत  हो  रहा      व भन्न  प्रजा तया   क े   प क्षया   को  देखकर  येसा  लगता  ह   क  हम
                                ं
                                                                                                       ै

          कसी वड स चुर  म  आ गए हो, छोटी सी  च ड़या ,एक लाल चाच का सुदर सा पक्षी
                                                                                                   ं

         और भी अलग-अलग तरह क े  तीतर बटेर जसे पक्षी यहा  दख जाते ह। मने देखा ह  क
                                                                             ं

                                                                                                            ै
                                                              ै

                                                                                   ै
                                                                                                             ं
         बड़े-बड़े शहरा  म   जनका शहर करण इस हद तक हो चुका ह  क पेड़ पौधे और जगल
                                                       ं
                                                                           ै
         देखना हो तो काफ  दूर जाने पर ही सभव हो सकता ह और वहा पर खुले म  घूमते हुए
                                                                                       ं
         पशु  प क्षया   को  देखने  क े    लए  अलग  से  काय क्रम  बनाना  पड़ता  ह  और  इन  सब  म
                                                                                            ै
                                             ै
         हमारा पूरा  दन चला जाता ह। जब क यह सब हम डाक प्र शक्षण क   द्र बड़ोदरा म  यह
                                                 ं

         सब सहजता से देख लेते ह, यहा का एकात उसे कहावत को च रताथ  करता ह  जसम
                                                                                                        ै
                                                            ं
              ं
                                                                                                           ै
         एकात को भोगने क े   लए एक गहर  सोच और अलग दृ   क  आवश्यकता होती ह और
          फर  उससे  जो   ान  उपजता  ह,वह  व्य  तगत,  समाज  और  सगठन  क े    लए  बहुत
                                                 ै
                                                                                         ं
         उपयोगी होता ह।  न  त ही यहा से प्र शक्षण प्राप्त कर कम चार  अपने सगठन या न
                                                                                                    ं
                            ै
         क  भारतीय डाक  वभाग का काय  बेहतर और प्रसन्न मन से कर पायेगा।
                                                                           अनुराग ढेगुला
                                                                           डाकपाल, वल्लभ िव ानगर
                                                                             ं
                                                                                                     ं
                                                                           इदोर, मध्यप्रदेश प रमडल
                                                                                                               45
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